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દ્રવ્યાનુયોગ ભાગ-૩
એમાંથી જે સાદિ-સપર્યવસિત છે તે જઘન્ય એક સમય અને ઉત્કૃષ્ટ અંતર્મુહૂર્ત સુધી (અકષાયી रुपमi) २३ छे.
८. सजाय - पाय पोन अंतरण- प्र२५५ :
१. ओध- उधायी, २. भान-पायी, ૩. માયા કષાયીનું અંતર જઘન્ય એક સમય અને ઉત્કૃષ્ટ અંતર્મુહૂર્ત છે. ૪. લોભ કષાયીનું અંતર જઘન્ય પણ અંતર્મુહૂર્ત અને ઉત્કૃષ્ટ પણ અંતર્મુહૂર્ત છે. ५. साह - अपर्यवसित पायीन मंतर नथी. સાદિ-સપર્યવસિતનું અંતર જઘન્ય અંતર્મુહુર્ત અને ઉત્કૃષ્ટ અનન્તકાળ છે.
तत्थ णं जे से साईए सपज्जवसिए से जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।'
- पण्ण. प. १८, सु. १३३१-१३३४ सकसाय-अकसाय जीवाणं अंतरकाल परूवणं-
२. माणकसाई, ३. मायाकसाईणं अंतरं जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, ४. लोभकसाईस्स अंतरं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, ५. अकसायिस्स साईए अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, साईए सपज्जवसियस्स जहण्णेणं अंतोमहत्तं. उक्कोसेणं अणंतंकालं।
- जीवा. पडि. ९, सु. २४८ १०. सकसाय-अकसाय जीवाणं अप्पबहुत्तं- प. एएसिणंभंते!जीवाणं१.सकसाईणं, २.कोहकसाईणं
३. माण कसाईणं, ४. मायाकसाईणं, ५.लोभकसाईणं ६. अकसाईणय कयरे कयरेहितो
अप्पा वा -जाव-विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा जीवा अकसाई,
२. माणकसायी अणंतगुणा, ३. कोहकसायी विसेसाहिया, ४. मायाकसायी विसेसाहिया, ५. लोभकसायी विसेसाहिया,' ६. सकसायी विसेसाहिया।२
१०. साय- अाय वोनो सपनत्व : अ. भंते ! ॥१.सपायी २.ओघ पायी, 3. भान
उधायी, ४. भाया उपायी, ५. दोन पायी मने ૬. અકષાયી જીવોમાંથી કોણ કોનાથી અલ્પ -यापन- विशेषाधि छ ? गौतम ! १. बधाथी थोड। १ सपायी छे. २. (तनाथी) भानपायी अनन्त छ, 3. (तनाथी) पाया विशेषाथि छ, ४. (तनाथी) भाया पायी विशेषाधि छ, ५. (तनाथी) सोम पायी विशेषाधि छ, 9. (तनाथी) सपाया विशेषाधिक छे.
- पण्ण. प.३, सु. २५४
१. जीदा. पडि. ९, सु. २४८
२. सकसायी अणंतगुणा ।
जीवा. पडि. ९, सु. २३२
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