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मैंने कुगुरु, कुदेव व कुशास्त्र की सेवा की, आपके द्वारा प्रसारित धर्म को हृदय में धारण नहीं किया । परन्तु आप परम वीतरागी हैं, ज्ञानमय हैं, सर्वज्ञ हैं, यह जाने बिना मेरा काम नहीं चला।
हे दयानिधि - मेरे समान कोई पापी नहीं है और पापियों का आप जैसा उद्धारक कोई नहीं है । दौलतराम की यह अरज है कि मुझे अब फिर संसार का निवास कभी प्राप्त न हो, इस संसार में रहना न हो।
दौलत भजन सौरभ