Book Title: Daulat Bhajan Saurabh
Author(s): Tarachandra Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 206
________________ ११६ ११५ ९७ १४३ ५४ ७६ ३४ ११८ ४२ ५७ ८२ ६९ १०२ ४९ ६८ १०४ ७३ १०८ २७. चेतन कौन अनीति गहीरे २८. चेतन ते या ही भ्रम ठान्यो २९. चेतन यह बुधि कौन सयानी ३०. छांडत क्यों नहिं रे ३१. छोडि दे या बुधि भोरी ३२. जगदानन्दन जिन अभिनन्दन ३३. जब तँ आनन्द जननि दृष्टि परी भाई ३४. जम आन अचानक दाबैगा ३५. जय जय जग भरम ३६. जय जिन वासुपूज्य शिवरमनी रमन ३७. जय शिव कामिनी-केत वीर ३८. जय श्री ऋषभ जिनन्दा ३९. जय श्री वीर जिनेन्द्र चन्द्र ४०. जय श्री वीर जिन वीर जिन ४१. जाऊँ कहाँ तज शरण तिहारी ४२. जानत क्यों नहि रे ४३. जिन छवि तेरी यह ४४. जिन छवि लखत ४५. जिन बैन सुनत मोरी भूल भगी ४६. जिन राग-द्वेष त्यागा ४७. जिनवर आनन भान निहारत ४८. जिनवाणी जान सुजान ४९. जिया तुम चालो अपने देश ५०. जीव तू अनादि से भूल्यो शिव गैलवा ५१. ज्ञानी ऐसी होली मचाई। ५२. ज्ञानी जीव निवार भरम तम ५३. तुम सुनियो श्री जिननाथ ५४, तू काहे को करत रति तन में ५५, तोहि समझायो सौ-सौ बार ५६. त्रिभुवन आनन्दकारी जिन छवि थारी ५७, थारा तो बैणा मैं सरधान घणो छ ५८. दीठा भागन तैं जिनपाला ५९, देखो जी आदीश्वर स्वामी ९६ १४२ १७ २५ १९ २७ ४४ ६२ ८८ १३० १०४ १२५ १०२ १५२ २३ ३३ ११९ १७५ १०७ १५९ थ द १५ २३ ४८६६ १८४ दौलत भजन सौरभ

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