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जिनकी शान्त मुद्रा को देखकर मुनिजनों के मन हर्षित हो जाते हैं और जिनके गुणों का चिंतवन करने से अपनी निज आत्मा की अनुभूति होती है। उन महावीर जिनेन्द्र की जय हो ।
जिनके घातिया कर्मों का नाश होने से अनन्त चतुष्टय-दर्शन, ज्ञान, सुख और वीर्य प्रकट हो गए हैं, ऐसे उन महावीर जिनेन्द्र की जय हो ।
जो लोकालोक के ज्ञाता हैं, फिर भी आत्मस्थ होकर स्वभावरत हैं। जगत का कल्याण करनेवाले हैं और समस्त दुःखों से मुक्तकर क्लेशविहीन करनेवाले हैं, उन महावीर जिनेन्द्र की जय हो ।
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जिनकी महिमा को गणधर भी कह नहीं सके, पार न पा सके, दौलतराम उनको नमन करते हैं और अक्षय सुख की अभिलाषा करते हैं ।
दौलत भजन सौरभ
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