________________
यह तन, यह धन और इनका भोग - ये सब संयोग स्वप्नवत् हैं और इनके विलय होने में देर नहीं लगती। इनसे ममत्व मत कर । तू अनुभव और ज्ञान से समझकर अपना भ्रम छोड़ दे।
यह मनुष्य जन्म, अच्छा क्षेत्र, अच्छा कुल तुझे मिला है और साथ ही जिसमें तुझे श्री जिनेन्द्र का उपदेश सुनने का अवसर मिला है । दौलतराम कहते हैं कि मन से ममत्व को छोड़कर इस दुविधाभरी दशा से छुटकारा पाओ।
दौलत भजन सौरभ