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- जीवन-मरण, लाभ और अलाभ, तृण और पणि सभी उनके लिए समान हैं । देव, मनुष्य, नाग आदि जिनके चरणों में नमन करते हैं । दौलतराम भी उनका स्तवन-चिंतन करते हुए यशगान करते हैं।
भूति = भभूत-राख; आशा = दिशा, समिध - हवन की सामग्री। दौलत भजन सौरभ
-उजअसा दिया कि की माती।