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रूपी जहाज पर चढ़कर इस संसारसमुद्र को पार किया। हे प्राणी ! उन ऋषभदेव को भज।
समस्त मन-वचन-काय के योग को छोड़कर, परिहारकर कर्मों का नाश किया और आठवीं पृथ्वी अर्थात् मोक्ष को प्राप्त किया। दौलतराम कहते हैं कि जो उनका यशगान करते हैं वे अजर और अमर हो जाते हैं।
देवऋषि - नौकान्तिक देव, वच .. वचन; शेषविधि - अघातिया कर्म, बसुम-धरा = आठवीं पृथ्वी, मोक्ष।
दौलत भजन सौरभ