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हुआ है, गुण ग्रहण किए हैं । वीतरागी, ज्ञानी व मुनिगण आदि सब आपके गुणों की माला जाते हैं: ___ ज्ञान का विकाररहित होना ही आपकी सुन्दर कृति/रचना है। आपकी सुन्दर छवि पर करोड़ों कामदेवों की भी बलिहारी है। भव्यजनों की भवपीडा को हरने के लिए आप श्रेष्ठ निमित्त हैं और अज्ञानअंधकार को हरनेवाले प्रकृत सूर्य हैं । आपके गुणों की महिमा का ज्ञान करना व उस रूप आचरण करने के लिए उन गुणों की गिनती करने में गणधर भी सक्षम नहीं है । दौलतराम कहते हैं कि हे जग के दुःखों से छुड़ानेवाले, मेरे अज्ञान की ऐसी परिणति को अब आप विराम दो, समाप्त करो।
दाम - माला, गनी - गणघर; खाम - कमी।
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दौलत भजन सौरभ