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उन्हें प्राप्त करने की इच्छा रखता है और अशुद्ध व अशोधित खान-पान करता है। ऐसा मोही जीव दुर्गति में जाने से कैसे रुकेगा? ____ जो दूसरे के वैभव को देखकर दुःखी होता है और दूसरे को दुःखी कर या दुःखी देखकर प्रसन्न होता है। धर्म के निमित्त एक भी कौड़ी-पैसा खर्च नहीं करता और मौज-मस्ती के लिए लाखों रुपये खर्च करता है। लाखों प्रकार कर्मरूपी वन का सजन करता है अर्थात् कर्मजाल बुनता है। ऐसा मोही जीव दुर्गति कैसे नहीं पायेगा?
जैसे घर में रहकर विभिन्न क्रिया-कलापों द्वारा पाप-कर्मों का उपार्जन करता है वैसे ही घर का त्यागकर वन में जाकर भी पापों का ही उपार्जन करता है और वन में जाकर वस्त्र छोड़कर दिगम्बर (निष्परिग्रही साधु) कहलाना चाहता है पर मृगच्छाला व शेर की खाल लपेट लेता है, पोड जाल में लिपटा ऐसा व्यक्ति क्यों नहीं दुर्गति में जाएगा?
जो स्वयं परिश्रम न कर अर्थात् काम-काज छोड़कर, दुष्ट यंत्र-मंत्र की साधनाकर लोक में अपने आपको पुजाता है, घर-स्त्री आदि को छोड़कर घर से बाहर आश्रम बनाकर दासियों सहित उसमें रहता है, मोहजाल में लिपटा ऐसा व्यक्ति क्यों नहीं दुर्गति में जाएगा?
अपने आपको मुनि, तपस्वी कहता है पर जिसका मन विषयों में ललचाता है, ऐसे साधु-अनन्तकाल तक इस लोक में भव-भवान्तर में स्वयं भटकते हैं और अन्य जनों को भी भटकाते हैं, कुमार्ग पर अग्रसर करते हैं । ऐसा मोही जीव दुर्गति कैसे नहीं पायेगा?
दौलत भजन सौरभ