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भूमिका
मूल भेद की न्यूनता
कुल
भेद संख्या
२३
प्रकरण संख्या छन्द संख्या छन्द भेद नाम २ . दोहा
रसिका रोला
काव्य ___षटपदी १२ २७ हरिगीतं
७१
रड्डा
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१७
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-
-
-
७६
२१८
२८८ छन्द का मूल भेद, छन्द-भेद-संख्या में सम्मिलित होने से ६ भेद कम होते हैं। अत: भेद संख्या २१८ में से ६ कम करने पर २०६ होते हैं और ७६ छंद संख्या सम्मिलित करने पर कुल २८८ छन्द होते हैं । अर्थात् मूल छंद ७६ और भेद
२०६ हैं।
इस प्रकार कवि चंद्रशेखर भट्ट ने वि. सं. १६७५ वसंत पंचमी को इसका प्रथम-खण्ड पूर्ण किया है ।
द्वितीय-खण्ड का सारांश १. वणिकवृत्त प्रकरण :
कवि चंद्रशेखर 'गौरीश' का स्मरण कर वणिक छन्द कहने की प्रतिज्ञा करता है और एकाक्षर से छब्बीस अक्षरों तक के वणिकवृत्तों के लक्षण एवं उदाहरण देता है; जो इस प्रकार हैं :
१ अक्षर-श्री और इः छन्दों के लक्षण एवं उदाहरण हैं।
२ अक्षर-काम, मही, सार और मधु नामक छन्दों के लक्षण एवं उदाहरण हैं।
३ अक्षर-ताली, शशी, प्रिया, रमण, पञ्चाल, मृगेन्द्र, मन्दर और कमल नामक छन्दों के लक्षण एवं उदाहरण हैं। ताली छन्द का नाम-भेद नारी दिया है।
४ अक्षर-तीर्णा, धारी, नगारिणका और शुभं नामक छन्दों के लक्षण एवं उदाहरण हैं । तीर्णा छन्द का नामभेद कन्या दिया है।