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[ २ ] १३. चक्रपाणिविजय महाकाव्य, (ग्र० २०), भट्ट लक्ष्मीधर विरचित; उषा-परिणय संबंधी
अद्यावधि अज्ञात काव्य; संपादक - के. का. शास्त्री (७+११२), १९५६ ई. ।
१४. नृत्यरत्नकोश (प्रथम भाग), (ग्र० २५), महाराणा कुम्भकर्ण कृत, संगीतराजरत्न
कोषान्तर्गत; संपादक - प्रो. रसिकलाल छो० परीख एवं डॉ. कु. प्रियबाला शाह (७+१४४), १९५७ ई०।
मू. ३.७५ १५. उक्तिरत्नाकर, (ग्र० १२), साधुसुन्दर गरिण विरचित, संस्कृत एवं देशी शब्दकोष;
संपादक - मुनि जिनविजय पुरातत्त्वाचार्य (१०+११८), १९५७ । मू. ४.७५ १६. दुर्गापुष्पाञ्जलि, (ग्र० २२), म. म. पं० दुर्गाप्रसाद द्विवेदी प्रणीत; संपादक पं० श्री गङ्गाधर द्विवेदी (३६+१४७), १९५६ ई० ।
मू. ४.२५ १७. कर्णकुतूहल एवं कृष्णलीलामृत, (प्र. २६), महाकवि भोलानाथ, जयपुर नरेश सवाई
प्रतापसिंह समाश्रित विरचित; संपादक - श्री गोपालनारायण बहुरा (२५+३०),
१९५७ ई०। १८. ईश्वरविलास-महाकाव्यम्, (ग्र० २६), कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट विरचित, जयपुर
निर्माता सवाई जयसिंह द्वारा अनुष्ठित अश्वमेध यज्ञ का प्रत्यक्ष वर्णन एवं जयपुर राज्येतिहास सम्बन्धी अनेक संस्मरण संवलित महाकाव्य; संपादक - कविशिरोमणि
भट्ट श्री मथुरानाथ शास्त्री (७६+२६३), १९५८ ई० । - मू. ११.५० १६. रसदीपिका, (ग्र० ४१), कवि विद्याराम प्रणीत, संस्कृत रसालङ्कारपरक सरल एवं
लघु कृति; संपादक - श्री गोपालनारायण बहुरा (१२+८०) १९५६ ई० । मू. २.०० २०. पद्यमुक्तावली, (ग्र० ३०), कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट विरचित, अनेक साहित्यिक
एवं ऐतिहासिक पद्य संग्रह; संपादक - कविशिरोमणि भट्ट श्री मथुरानाथ शास्त्री (२०+१४६), १९५६ ई.।
मू. ४.०० २१. काव्यप्रकाश भाग १, (ग्र०४६), मूल ग्रन्थकार मम्मटाचार्य के समकालीन भट्ट
सोमेश्वर कृत 'काव्यादर्श संकेत' सहित, जैसलमेर के जैन ग्रन्थ-भंडारों से प्राप्त प्राचीन प्रति के आधार पर संपादित; संपादक - श्री रसिकलाल छो० परीख (४+३५२), १९५९ ई०।
मू. १२.०० २२. काव्यप्रकाश भाग २, (ग्र० ४७), संपादक - श्री रसिकलाल छो० परीख (२२+११०+६४), १९५६ ई० ।
मू. ८.२५ २३. वस्तुरस्नकोश, (ग्र० ४५), अज्ञातकर्तृक, संस्कृत का सामान्यज्ञान-कोश; संपादक - डॉ० कु. प्रियबाला शाह (६+६४); १९५६ ई०।
मू. ४.०० २४. दशकण्ठवधम्, (म० २३), म. म. पं० दुर्गाप्रसाद द्विवेदी कृत, रामचरित्रात्मक संस्कृत.
चम्पू; संपादक - श्री गङ्गाधर द्विवेदी (४+१५६), १९६० ई.। . मू. ४.०० २५. श्री भुवनेश्वरीमहास्तोत्रम्, (ग्र० ५४), पृथ्वीधराचार्य विरचित, कवि पद्मनाभ प्रणीत
भाष्यान्वित, पूजा-पञ्चाङ्गादि संवलिंत; संपादक - श्री गोपालनारायण बहुरा (१+१६६), १९६० ई० ।
मू. ३.७५.