________________
[ ३ ] २६. रत्नपरीक्षादि सप्तनन्य संग्रह, (ग्र० ६०), दिल्ली-सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के
मुद्राधीक्षक ठक्कुर फेरू विरचित, मध्यकालीन भारत को प्रार्थिक दशा एवं रत्नपरीक्षादि वस्तुजात-संग्रहादिक विषयों पर विस्तृत विवेचनात्मक ग्रन्थ ; संपादक - पद्मश्री मुनि जिनविजय पुरातत्त्वाचार्य । १९६१ ई० ।।
मू. ६.२५ २७. स्वयम्भूछन्द, (ग्र० ३७) कवि स्वयम्भू कृत, दसवीं शताब्दी में रचित प्राकृत एवं अप
भ्रंश छन्दःशास्त्र पर अलभ्य कृति; संम्पा० प्रो. एच०डी० वेलणकर (२५+२४४) १९६२ ई० ।
___मू. ७.७५ २८. वृत्तजातिसमुच्चय, (ग्र० ६१), कवि विरहाङ्क कृत, वीं शताब्दी में प्रणीत संस्कृत
एवं प्राकृत छन्दःशास्त्र पर अलभ्य कृति; संपादक प्रो० एच. डी. गेलणकर (३२+१४४); १९६२ ई० ।
___ मू. ५.२५ २९. कविवर्पण, (ग्र० ६२), अज्ञातकर्तृक, १३वीं शताब्दी में रचित प्राकृत-संस्कृत छन्दः
शास्त्र पर अनुपम कृति; संपादक - प्रो० एच. डी. वेलणकर (५२+ १५६), १९६२ ई० ।
मू. ६.०० ३०. वृत्तमुक्तावली, (ग्र० ६६), कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट प्रणीत, वैदिक एवं संस्कृत
छन्दःशास्त्र पर दुर्लभ कृति; संपादक -पं० श्री मथुरानाथ भट्ट (१७+७६) १९६३ ई० ।
मू. ३.७५ ३१. कर्णामृतप्रपा, (ग्र०२) सोमेश्वर भट्ट कृत (१३वीं शताब्दी) मध्यकालीन संस्कृत-काव्य.
संग्रह, जैसलमेर के जैन-भंडारों से प्राप्त अलभ्य प्रति के आधार पर; संपादक -
पद्मश्री मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य; (१०+५६),१९६३ ई०। मू. २.२५ ३२. पदार्थरलमञ्जूषा, (ग्र. ३८), श्रीकृष्णमिश्र प्रणीत दर्शनशास्त्र की वैशेषिक शाखा
पर आधारित, जैसलमेर के जैन-भंडारों से प्राप्त प्राचीन प्रति के आधार पर संपादित; संपादक - पद्मश्री मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य; प्रस्तावना - श्री दलसुख मालवणिया । (७+४५) १९६३, ई० ।
मू. ३.७५ २३. त्रिपुराभारती-लघु-स्तव, (ग्र० १), लघवाचार्य प्रणीत वागीश्वरी स्तोत्र, सोमतिलक
सूरि (१३४० ई०) कृत टीका सहित; संपादक-पद्मश्री मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य (१०+५६) १९५२ ई० ।
मू. ३.२५ ३४. प्राकृतानन्द, (ग्र० १०). रघुनाथ कवि कृत प्राकृत भाषा व्याकरण संबंधी महत्त्वपूर्ण
रचना; संपादक - पद्मश्री मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य (१७+५२+५३+७६) १९६२ ई०।
मू. ४.२५ ३५. इन्द्रप्रस्थ-प्रबन्ध, (प्र.७०), प्रज्ञात कर्तृक, दिल्ली के प्रारम्भिक शासकों के विषय में
ऐतिहासिक काव्य; संपादक - डा० दशरथ शर्मा (+४६) १९६३ ई. । मू. २.२५