Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 623
________________ ४६० ] वृत्तमौक्तिक-पञ्चम परिशिष्ट प्रस्तार. छंद-नाम संख्या लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्कताङ्क १७. १७. १७; निस्तुषा-१७; १७. २,४०५. वृद्धवामा २,४२१. मर्मस्फुरम् २,७०६. पृषद्वती २,७१०. अखण्डमण्डनम् २,७३१. कलापतिप्रभा २,७५२. अशोकपुष्पकम् । २,७६२. करपल्लवोद्गता । २,७६३. सार्द्ध पदा २,७६४. सुदन्तम् त त ज त ग त भ ज त ग तर र ज ग जर र जग र ज र जग न न र जग य य स ज ग र य स ज ग स य स ज ग १७. १७, अशोकम्-१७. १७. १७. १०; अम्बुदावली-१७; मणिकुण्डलम्-१६. १०: मंजुहासिनी-१४. १७; मंजुभाषिणी-१६. १७. २,७६०. मजुभाषिणी ज त स ज ग २,७६५. मञ्जुमालती र ज स ज स २,८०८. विरोधिनी न भ स ज ग २,८१६. नलिनम् न न स ज ग २,६०७. चन्द्रहासकरा र स ज ज ग २,६०८. द्रुतलम्बिनी स स ज ज ग २,९०६. कनककेतकी त स ज ज ग २,६१०. गरुदवारिता ज स ज जग २,६११. अमितनगानिका भ स ज ज ग २,९१८. प्रापणिका ज त ज जग २,९२६. गुणसारिका ज ज ज ज ग २,९३३. प्रमोदतिलका त भ ज ज ग २,६३६. सारसनावलिः न भ ज ज ग २,९४३. उपचितरतिका भ न ज ज ग २,६८२. उदात्तहासः ज त भ ज ग ३.०४६. कलनायिका ज त न ज ग़ ३,२७७. अभ्रभ्रमशीला त य स भ ग ३,३६०. विदला न स त भ ग ३,४२३. प्रपातलिका भ स ज भ ग ३,५११. कर्मठः भ भ भ भ ग ३,५४३. लवलीलता भर न भग ३,७३६. अनिलोद्धतमुखी न र र ३,७७१. प्रबोधफलिता र न र न ग ३.७८८. कोमलकल्पकलिका स य स न ग SHERPF5MEEV5F5 5 4 55 १७. १७. १७. १७; गणसारिका-१७. १७, अभ्रकम्-१०. १७. 9 ~ 9 ~ 9 ~ ~ 9 9 ~ ~ 9 १७. १७; अङ्गरुचि:-१६. १७. १७. १७. १७.

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