Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 644
________________ सन्दर्भ-ग्रन्थों में प्राप्त वणिक-वृत्त [ ५११ वर्ण-संख्या वृत्तनाम विषमचरणों समचरणों सन्दर्भ-ग्रंथ का लक्षण का लक्षण संकेतांक (१२, ११) नटक: [स स स स ] [त ज ज ल ग ] १७. (१३, १३) प्रकीर्णकम् [ज भ स ज ग] [त भ स ज ग ] १९; (रुचि-रुचिर उपजाति) (१३, १३) निर्मधुवारि त भ र स ल ] [स ज स ज ग ] १७. (१३, १४) लास्यलीलालयः [त य र र ग ] [भ स त त ग ग] १७. (१३, १२) अञ्चिताना न ज ज र ग] [न न र य ] १७. (१३, १२) प्रमाथिनी [न ज ज र ग] [स भ र य ] १७. (१३, १४) पालेपनम् [न त त त ग ) [न भ य य ल ग] १७. (१३, १६) परप्रीणिता [न न त त ग ] [न न स त त ग] १७. (१३, १३) विमुखी [न न भ स ल ] [न न स स ग ] १७. (१३, १५) प्रमोदपरिणीता [न न र ज ग ] [न ज ज भ य ] १७. (१३, १३) सुरहिता नि न स स ग ] [त न न न ग ] १७. (१३, १३) रुचिमुखी [न न स स ग] [न न भ स ल ] १७. (१३, १३) शिशुमुखी न भ ज ज ग ] न भ स ज ग ] १७. (१३, १३) अनिरया [न भ स ज ग] न भ ज ज ग ] १७. (१३, १४) प्रतिविनीता (१३, १३) अल्परुतम् [भ न ज ज ग] [भ न य न ल ] १७. (१३, १३) अर्धरुतम् [भ न य न ल] [भ न ज ज ग ] १७. (१३, १३) अनङ्गपदम् [भ भ भ भ ग ] [स स स स ग ] १७. (१३, १३) धीरावतः [म त य स ग] [म भ स म ग ] १७. (१३, १३) धीरावतः म भ स म ग] [म त य स ग ] १७. (१३, १०) किंशुकावली [म न ज र ग ] [त ज र ग ] १७. (१३, १३) अलिपदम् [र र न त ग ] [न त त त ग ] १७. (१३, १३) मधुवारि स ज स ज ग ] [त भ र स ल ] १७. (१३, १३) कलनावती [स ज स ज ग ] [स ज स स ग ] १७. (१३, १२) पद्मावती [स ज ग] [त भ ज य ] १७. (१३. १३) कलना स ग ] [स ज स ज ग ] १७. (१३, १२) चमूरुः [स न ज र ग ] [र न ज र ] १७. (१३ १२) वियद्वाणी सभ ग ] [म स ज म ] १७. (१३, १४) मन्दाक्रान्ता [सस र ग ] [म स ज र गय ] १७. (१३, ११) कामाक्षी सस न न ग 1 म भ न लग (१३, १३) भुजङ्गभृता स स स स ग ] [भ भ भ भ ग ] १७. (१४, १५) अवरोधवनिता न भ भ र ल ग] [स स ज भ य ] १७. (१४, १३) अनालेपनम् [न भ य य ल ग] [न त त त ग ] १७. BENE

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