Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 653
________________ ५२० ] वृत्तमौक्तिक-सप्तम परिशिष्ट जयदेवच्छन्दस् दक्षिणानिलवर्णने वशावतारस्तोत्रम् देवीस्तुतिः नन्दनन्दनाष्टकम् नवरत्नमालिका नारायणाष्टकम् नैषधकाव्यम् पवनदूतम् (खण्डकाव्यम्) पाण्डवचरित-महाकाव्यम् (प्राकृत) पिङ्गलम् प्राकृतपंगल-टीका , पिङ्गलप्रदीपः ,, पिङ्गलोद्योतः भट्टिकाव्यम् भागवतपुराण मालतीमाषवम् यथा वा ग्रन्थकार पृष्ठांक जयदेवः २०४. राक्षसकविः १५३. रामचन्द्रभट्टः १२६. लक्ष्मीनावभट्टः ४३. लक्ष्मीनाथभट्टः १४४. शङ्कराचार्यः १४५, १६१. रामचन्द्र भट्टः १६७. श्रीहर्षः १६६. . चन्द्रशेखरभट्टः १३६. चन्द्रशेखरभट्टः ६२, १२१, १५१, १६०. ३, ६४, ६५,७०,७१,७३,७६, १२२, १३६,१५१,१५२, २७२, २७७,२८१, २८३, ३२६, ३५४, ३५५, ३५८. पशुपतिः २७३. रविकरः २७३. लक्ष्मीनाथभद्रः ४१,१८०,१८५, १९६. चन्द्रशेखरभट्टः ३०६, ३१३. भट्रि: १४७, १६९. वेदव्यासः १४०. भवभूतिः २०६. ११, १८, ३५, ३६, ६३, ७०, ७३, ७५, ८४, ६२,६४, १२३, १२४, १२५, १५६, १६२, १६४, १६७, १८८, २०२, २०६, २१०. १९७, १६८, १६६, २००. कालिदासः १०६, १३८,१४७, १६०, १६४. वाग्भटः दामोदरः ७६, ६१, १०६, ११४, १२२, १२४, १३०, १४३, १४४, १४५,१५१,१५२, १५७, १७२, ३३०, ३३५, ३४२, ३४३. १९८, १६६, २००. .. १०१. यथा वा ममरघुवंशम् वाग्भटः (अष्टांगहृदयसंहिता) वाणीभूषणम् सुल्हणः वृत्तरत्नाकर-टीका वृत्तसार

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