Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 624
________________ सन्दर्भ-ग्रन्थों में प्राप्त वणिक-वृत्त [ ४६१ लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्कताङ्क प्रस्तार- छन्द-नाम संख्या १७. १७. १७. १७; परिवशिता-१७. १७. १७; वनिताक्षी-१७. १७; निरावलि:-१७. ३,८३५. परगतिः ३,८६२. अभिरामा ३,६६४. उपसरसी ४,०४८. मदनजवनिका ४,०६० वरिवशिता ४,०६३. अर्धकुसुमिता ४,०८४. विनताक्षी ४,०८५. नरावलिः. ४,०८६. अभीरुका ४,०८७. कनकिता ४,०९६. त्वरितयतिः ४,४६०. सुखकारिका ५,८१३. अट्टहासिनी अङ्गरुचिः ७,८०७. पावलिः ८,०००. प्रशनिः र न स न ग स भ त न ग सन जन ग न यनन ग स स न न ग भ सनन ग स भनन ग त भन न ग ज भन न ग भ भ न न ग न न न न ग स ज ज मल तभर स ल भ भ भ भल भनय नल न न त न ल १७. १७. १०; हरवनिता-१७; उपनमिता-१७. १७. चतुर्दशाक्षर-छन्द १७, कालध्वान्तम्-१७. १७. २०५. वंशोत्सा ६६१. कालध्वानम् १,०२१. पारावारः १,२६३. प्रपन्नपानीयम् १,२६६. अनिन्दगुविन्दुः १,५३७. धीरध्वानम् १,७४४. ललितपताका २,०२२. सम्बोधा २,०६५. विन्ध्याख्ढम् २,३२१. लक्ष्मीः तय समग ग म म न य ग ग त न न य ग ग त य त र ग ग न य त र ग ग म म म स ग ग न य स स ग ग जत न स ग ग म र म त ग ग म र त त ग ग १७; गुविन्दुः-१७; पूर्वेन्दुः-१७. १७. १७. १७; वन्ध्यारूढम्-१७. ५, १०; चन्द्रशाला-१९% बिम्बालक्ष्यम्-१७. १७. १७. २,३२२. दृप्तदेहा २,३२३. बभ्र लक्ष्मी २,३३२. सरमासरणिः २,३३५. पुष्पशकटिका २३३७. निर्यत्पारावारः य र त त ग ग र र त त गग स स त त ग ग भ स त त गग म त त त ग ग १७. १६%; लक्ष्मी -१६. १७.

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