Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 630
________________ सन्दर्भ-ग्रन्थों में प्राप्त वणिक-वृत्त [ ४६७ प्रस्तार- छन्द-नाम संख्या लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्कताङ्क १७. ६९,३६२. कर्णस्फोटम् ७४,८६९. प्रतीहारः ७५,७१४. कान्तारम् ८१,१४०. फल्गुः ललितभृङ्गः न य त न म गल र र र र र गल य म न स र गल सभ स भ स चल भ सन ज न गल १७. १७. रूपगोस्वामिकृत रासक्रीडास्तोत्र अष्टादशाक्षर-छन्द ३१,४५०. परामोदः ३२,२३०. विलुलितवनमाला अनङ्गलेखा चन्द्रमाला ३७,४४०. नीलशार्दूलम् य स स ज न म न न मन न म न स म म य य न न म म य य न न म य य य मन्दारमाला ४४,०२५. सत्केतुः पडूजवक्त्रा भङ्गिः काञ्ची केसरम् ७४,८६६. सिन्धुसौवीरम् निशा FFEE EFFFFFFr स त न य य य मन न जर य न न स स त य भ भ भ भन य मर भय र र म भ न य र र १७. १७. ५, १०. ५, १०. १७; नीलशालूरं-१७; नीलमालूरम्-१७. १६. १७. १०; पङ्कजमुक्ता-१६. १०, विच्छित्तिः-११. १०; वाचालकाञ्ची -११, २०. ५, १०, १४. १७. १०; तारका-११; महामालिका-१४. नन र र र र १७. १७. १०. ७७,५०४. पविणी ७७,८०६. क्रोडक्रीडम् बुबुदम् ८६,००८. वसुपदमञ्जरी हरिणीपदम् ९३,०१७. हरिणप्लुतम् कुरङ्गिका चलम् ६५,७०४. षट्पदेरितम् ९६,०९४. पार्थिवम् गुच्छकभेदः न न र न न र म भनन र र स ज स ज त र न ज भ ज जर न स म त भर म स ज ज भर म त न ज भर म भ न ज भर न र न रन र ज स ज स न र न न न न न र १७. ५, १०. १४, १७. ५, १०. १०, १४; अचलम्-५. १७. १७. रूपगोस्वामिकृत-अरिष्टवधस्तोत्र

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