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ख. वर्णिक छन्दों के लक्षण एवं नाम-भेद
सङ्केत – क्रमाङ्क एवं छन्द-नाम = वृत्तमौक्तिक के अनुसार हैं। लक्षण – छन्द लक्षण में प्रयुक्त ग = गुरु, ल = लघु, म= मगरण, ययगण, र = रगरण. स सगरण त तगरण, ज = जगरण, भ भगरण और न=नगरण के सूचक हैं । सन्दर्भ-ग्रन्थ संकेताङ्क = सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूची एवं तदनुसार क्रमसूचक संख्या चतुर्थ परिशिष्ट क. पृ. ४१४ के अनुसार हैं ।
क्रमांक छन्द-नाम लक्षण
[ग. ]
[ल.]
१.
२.
श्रीः
३. कामः
इः
४. मही
५.
सारः
७.
६. मधुः
5.
ताली
शशी
९. प्रिया
१०. रमण:
११. पञ्चालम् १२. मृगेन्द्रः
[ग. ग.]
[ल. ग.)
[ग. ल. ]
[ल. ल.]
[म. ]
[य.]
[.]
[ स . ]
[त. ] [ज. ]
एकाक्षर छन्द
सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क
१, ६, १०, १२, १३, १५, १६, १७, १६, २२; उक्तम् - ५; गी:- ६; गौ- ७.
१, १६; स्तु - १७.
द्वयक्षर छन्द
१, ६, १२, १६; अत्युक्तं -५; नौ-७; स्त्री६, १०, १२, १३, १५; पद्मम् - ११, १६; श्राशी: - २२.
१, ६, १२, १६, १७; सुखं - १०, १६.
१, १६; सार -६, १२; दुःखं - १०; चारु - १७, जत्रु-१६;
१, ६, १२, १६, १७; मद:- १०; पुष्पम् - ११; वलि - १६.
ध्यक्षर छन्द
१, ६, १६; नारी-१, ६, ७, १०, १३, १५, १७; श्यामाङ्गी - १९.
१, ६, १२, १६; मध्यमं - ५; केशा - १०; षू:
११; बलाका- १७; वनम् - १६.
१, ६, १२, १६; १३, १५, १७;
चञ्चला - २२. १, ६, १२, १६, १०; रजनी - ११;
१, ६, १२, १६, १. ६, १२, १६;
मध्यमं - ५; मृगी - ६, १०, तडित् - ११; सुधी - १६,
१७; मध्यमं - ५; मदन:प्रवरः- १६. १७; सेना - १६.
मृगेन्दु: - १७; सुवस्तु - १६.