Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 594
________________ क्रमांक छन्द-नाम १. पुष्पिताग्रा २. उपचित्रम् ३. वेगवती ४. हरिणप्लुता ५. अपरवक्त्रम् ६. सुन्दरी ७. भद्रविराट् ८. केतुमती ६. वाङमती १०. षट्पदावली १. उद्गता २. उद्गताभेदः ३. सौरभम् ४. ललितम् ५. भावः ६. वक्त्रम् ७. पथ्यावक्त्रम् छन्दों के लक्षण एवं प्रस्तारसंख्या अर्धसमवृत्त प्रथम और तृतीय चरण का लक्षरण द्वितीय और चतुर्थ चरण का लक्षण !!! "I SIS ISS । ।ऽ ।।s ।। ऽ ।।ऽ IIs Is ।।s s IS IS IIS IS ।।। ।।। ऽ।ऽ ऽऽ IIS IS ISI S SSI ISI SIS S IIS ISI IIS S SIS ISI ऽ । ऽ । ऽ। ISI SIS ISI SIS विषमवृत्त [प्र.च. ] 115 ।।। 15 1 [ तु.च. ] 51 । [प्र.च. ] 115 [तृ.च. ] 5।। ।।। [प्र.च. ] 115 151 [तु च ] 515 1।। 15 1 [प्र.च. ] 115 15। [ तु. च. ] ।।। ।।। [प्र.च.] प्रथम चरण का लक्षण । [तृ.च.] तृतीय चरण का लक्षण । [प्रच. ] ssssss [तृच.] ssssss ।। ऽ । 5 ।। ऽ ।। 5 । । 51 ।।ऽ । ऽ।। ऽ 15 ।।ऽ । ।।ऽ ।।ऽ ।।। ।5। 151 ऽ।। ऽ।। ऽ।। S S SII SI SII SS ।।। ऽ।। ऽ।। ऽ।ऽ 5 15 ।।। । ऽ। । 5 1 IIS SI SIS IS SSS IIS ISI SS ऽ । । ऽ । ऽ ।।। ऽऽ ISI SIS ISI SIS S SIS ISI SIS ISIS [ द्वि च . ] " [ च च . ] [द्वि च . ] [ च.च. ] [द्वि.च. ] [ च च . ] 115 ।।। 115 151 ।।5 ISI S 111 115 15 5 115 15 1 115 ISI S [द्वि.च. ] ssssss [ च.च. ] 511 [ समचरणे ] sss, sss. s [ समचरणे ] ।5। (५.६.७ वां वर्ण) 115 111 [ द्वि.च. ] [ च च . ] [ ४६१ [द्वि.च.] द्वितीय चरण का लक्षण [च.च.] चतुर्थ चरण का लक्षण SIS S IIS ISI S 15 1 11s s 115 1ऽ । ऽ 151 15 s ।।ऽ ।ऽ। S ऽ।। ऽ।। s

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