Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 613
________________ ४८० ] वृत्तमौक्तिक-पञ्चम परिशिष्ट छन्द-नाम लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्कताङ्क १७, प्रस्तार- संख्या ३०३. ३०६. ३१७. ३२७. ३३१. खेटकम् बर्हातुरा नीराञ्जलिः दीपकमाला पंक्तिका भजत ग तभतग त न त ग भ म जग र य ज ग १७. १५. ३४२. ३४५. सराविका शुद्धविराट जर जग म सजग ५, १०, कर्णपालिका-१७, मौक्तिकम्-१६. १७. २, ५, ६, १०, १७, १८, १९, २०, २२, विराट-१७. १७. ३४७. ३४८. ३४६. ३५१. अक्षरावली सहजा अहिला कुप्यम् अनुचयिता वमिता उपस्थिता र स ज ग्र स स ज ग त सजग भ सजग न सजग र ज ज ग त ज ज ग़ ३५२. १७. १७. १७. १७. १७. २, ५, १०, १३, १७, १८, २०, २२. १०; जरा-१७. ३६३. ३६५. १७. १७. १३,१७. १७. १७. १७. १७; कटिका-१७. ३६६. उषिता ३७५. भिन्नपदम् ३७६. वडिशभेदिनी ३७७. पणवः ३८४. चितिभृतम् ४००. फलिनी ४१२. सुरयानवती ४१५. विरलम् ४२४. छलितकम् ४२८. प्रवादपदा ४३३. हंसक्रीडा वारवती ४३७. परिचारवती ४३८. काण्डमुखी ४४०. शरत् ४४७. गहना ४४८. फलधरम् ज ज ज ग भ भ ज ग न भज ग म न ज ग न न ज ग न य भग स स भग भ स भग न त भग स ज भग म भ भग सभ भग त भ भग ज भ भग न भ भग भन भ ग न न भग १७. १७.

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