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४८२ ]
प्रस्तार
संख्या
३६.
४३.
४८.
५७.
६४.
७५.
२८६.
८०.
८६.
६२.
१००.
१०८.
११२.
१२२.
१२४.
१३२.
१४७.
१८४.
१८७.
१६२.
१६६.
२१७.
२२०.
२२३.
२४४.
२४७.
२५६. वृन्ता
२९३.
छन्द-नाम
३००.
लक्षणलीला
भत मग ग
कूलचारिणी
र ज म गरा
विलुलितमञ्जरी
न ज मग ग
भूरिघटकम्
मन मग ग
कलितकमलमाला
न न मग ग
वल्लवीविलासः र य य ग ग
विकसितपद्मावली
न य य ग ग
अमोघमालिका
ज र य ग ग
ललितागमनम्
स स य ग ग
संसृतशोभासारः
स त य ग ग
ललितावलम्
स ज य ग रा
वार्ताहारी
न ज य ग ग
कडारम्
य न य ग ग
उदितदिनेश:
स न य ग ग़
स म र ग ग
जालपादः
दारदेहा
रोचकम्
सुधाधारा
कुपुरुषजनिता
कन्दविनोदः
विलम्बितमध्या
विष्टम्भः
क्रोशितकुशला
उपहितचण्डी
श्रितकमला
उपस्थितम्
वृत्तमौक्तिक - पञ्चम परिशिष्ट
प्राकारबन्धः
लक्षण
र र र ग ग
भ भ र ग ग
र न र ग ग
न न र ग ग
भ म सग ग
म स स ग ग
स स स ग ग
भ स स ग ग
सभ स ग ग
भ भ स ग ग
न न स ग ग
ज स त ग ग
त त त ग ग
सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्क ेताङ्क
स ज त ग ग
१७.
१७; कूलिका - १७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७; दारुदेहा - १७.
१०.
१७.
१४.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
१७.
विहारिणी
* १५ टी० = छन्दोमञ्जरी 'प्रभा' टीका, हरिदास कृत ।
२, १०, १३, १८, १९, २० ; रथ
पदं - १७; वृत्ता - १७; सुकृति:- १७. ६, १०, १३, १७, १८; शिखण्डितं - १५ टी०४
१७; लयग्राहि - १०, १६ विध्वं कमाला - १५ टी०
१७; भासिनी - १७.