Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 620
________________ सन्दर्भ-ग्रन्थों में प्राप्त वणिक-वृत्त [ ४८७ छन्द-नाम लक्षण प्रस्तार. संख्या सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्कताङ्क १४. १०१६. द्रुतपदम् १०२१. विरतिमहती १०८०. ततम् न भ न य त न न य न न मर २, १०, १८; ललितम्-१७, १४; गौरी-१७. १७. १७. १० वसन्तः-११. १७. १७. ११४२. गलितनाला ज भय र ११६२. सरोजावली य य र र ११७६. मेधावली न र र र ११६६. विप्लुतशिखा भज र र १२००. विशिखलता न ज र र १२३६. सुतलम् स र स र १३६५. अन्तर्विकासवासकः त र ज र १३७१. परिपुसिता र स जर १३७६. प्रसृमरमरालिका न स ज र १३९०. विधारिता ज ज ज र १३६१. पिकालिका भ ज ज र १४०४. विरला स न ज र १४०७. अविरलरतिका भ न ज र १४६०. राधिका स भ भ र १४७२. उज्ज्वला . न न भ र १७. १७. १७. १७; पिधायिनी-१७. १७; वीरला-१७. १७. १७. १०, १३, १७; चपलनेत्रा-११, चलनेत्रिका १८. १७. १७. १७. १७. १५१५. विपुलपालिका र जन र १५२४. उपलेखा सभ न र १५२६. भसलविनोदिता ज भ न र १५२७. विरतप्रभा ___ भ भ न र .१५३१. मुकुलितकलिकावलि रन न र १६७६. अतिवासिता स य र स १६६१. भुजङ्गजुषी र स र स १६६५. अजितफलिका भ स र स १७०३. ललना भ त न स १७२८. ह्रीः न न न स १७३५. ललना भ म स स १७३८. कुरङ्गावतार: य य स स १७७४. विकत्थनम् ज ज स स १७७५. नीलगिरिका भ ज स स १७; १५ टी.

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