Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

View full book text
Previous | Next

Page 618
________________ सन्दर्भ-ग्रन्थों में प्राप्त वणिक-वृत्त [ ४८५ प्रस्तार- छंद-नाम संख्या लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्कताङ्क १७. १३७२. पिचुलम् १४००. कालवर्म १५११. सान्द्रपदम् १७७७. शेषापीडम २०००. केलिचरम् स स जगल नभ जगल भ त न गल मभ स ल ल न य न ल ल १७; १५ टी० १७. द्वादशाक्षर-छन्द १७. १७. ६४. १७; अम्भाजाली-१७. १७. भाषितभरणम् ३२. विषमव्याली शम्पा मिथुनमाली किंशुकास्तरणम् रसलीला ९३. विशालाम्भोजाली १४. वीणादण्डम् ६७. मत्ताली १२८. वसनविशाला १९३. लीलारत्नम् २५३. विवरविलसितम २५६. शुद्धान्तम् ३४८. साक्षी ३६४. स्वरवर्षिणी ४४८. धवलकरी ४७६. लुम्बाक्षी ५०५. मलयसुरभिः ५२५. वाहिनी ५७६. ज स य म म त यम नन यम म म स म त न स म न न स म स स ज म स ज ज म न न भ म स स न म मन न म त य म य न म मय www १७. १७; लुब्धाक्षी-१७. १७. ५७८. ६०४. ६०८. ६१४. ६६२. ६८८. प्राधिदैवी समयप्रहिता मिहिरा कलवल्लीविहङ्गः असुधारा बलोजिता २०. २, ३, ४, ६, १०, १३, १७, १८, १९, २२; पुटा:-२० १७. १७. १७. १७. १७, अस्त्रधारा-१७. १७, १६; अचलमचचिका-१७.

Loading...

Page Navigation
1 ... 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678