Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 610
________________ सन्दर्भ-ग्रन्थों में प्राप्त वणिक-वृत्त [४७७ प्रस्तार. संख्या छन्द-नाम लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्कतात २६. ३०. ३१. वैसारुः निविन्ध्या कमिष्ठा धृतहाला कलहम् प्रयनपताका त सम जस म भ सम म भ म स भ म मन म तन म १७; वैसारम्-१७. १७, निर्वन्ध्या-१७. १७, किर्मिष्ठा-१७. १७. ५२. मकरलता १७. १०, रम्भा-१७; ६ के अनुसार'म.न.य' लक्षण है १७; बृहत्यं-१६. १७; सुन्दरखेखा-१६. १७. १. शरलोढा-१७. ७४. विशल्यम् ६७. ___अर्धक्षामा १००. सम्बुद्धिः १०३. शम्बरधारी ११२. शशिलेखा ११७. रुचिरा १२१. कांसीकम् १२४. सुगन्धिः १२५. कामा १५२. बहतिका १६४. निभालिता १६६. चारहासिनी १७१. कामिनी १७३. रवोन्मुखी १७४. अवनिजा १७५. प्रवह लिका १७६. हलोद्गता १८०. मधुमल्ली १८२. सहेलिका १८३. मदनोद्धरा १८४. करशया १८७. भत्रिका १९२. उपच्युतम् २१५. निषधम् य य य म तय स तय भत य न जय त भय मन य सन य त नय न र र स तर जत र र जर त जर १७. १७. ५,१०० १७. १९. १०; तरंगवती-११, २.. 의 의서 외국 되 44 4 4 4 4 외국의 4 AA 4 4 4 44 의 의 4 44 서 최 회 ज भर भ भर न भर २७; उत्सुकम्-१०, १६. १७. १०, १४, १७, १६. १०, १९.

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