Book Title: Vruttamauktik
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

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Page 606
________________ प्रस्तार- छन्द-नाम संख्या ६३. ४. सरांघ्रि विरोही वरजापि ६५. ६७. ६८. ६. १००. १०१. १०२. १०३. १०४. १०५. १०६. १०७. १०८. १०६. ११०. १११. ११३. ११४. ११५. ११६. ११७. ११८. स्तरधि ११६. पौरसरि १२०. वीरवटु १२१. श्रमतिः १२२. १२३. १२४. १२५. १२६. १२७. सम्पाकः पद्धरि गुणिका काही कामोद्धता खर्परि शन्तनु मुरजिका कालम्बी उपोहा कापिका मुहुरा दोषा उपोदरि जासरि भूरिमधु भूरिवसु हर्षिणी लोलतनु कोडान्तिकम् श्रहतिः वरशशि धनर्धारि मुशकि कुरदि कोशि सन्दर्भ-ग्रन्थों में प्राप्त वणिक-वृत्त लक्षण त स ल ज स ल भ स ल म त ल य त ल र त ल स त ल त त ल ज त ल भ त ल न त ल म ज ल य ज ल र ज ल स ज ल त ज ल ज ज ल भ ज ल म भ ल य भ ल र भल स भ ल त भ ल ज भ ल भ भ ल न भ ल म न ल य न ल र न ल स न ल त न ल ज न ल भ न ल सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७; लीला - १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७, १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. [ ४७३

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