________________
क्रमाङ्क छन्द-नाम
१३०. चन्द्रिका
१३१. कलहंसः
१३२. मृगेन्द्रमुखम्
१३३. क्षमा
१३४. लता
१३५. चन्द्रलेखम्
१३६. सुद्युतिः १३७. लक्ष्मी:
१३८. विमलगति:
१३६. सिंहास्यः १४०. वसन्ततिलका
वर्णिक छन्दों के लक्षण एवं नाम-भेद
लक्षण
[न.न.त.त.ग.]
[स. ज. स. स.ग. ]
[न.ज.ज. र. ग. ]
[न.न.त. र. ग. ]
[ न.स.ज.ज.ग. ]
[ न.स. र. र. ग. ]
[ न.स.त.त.ग.] [त.भ.ज.ग.]
[न.न.न.न.ल.]
[म.म.म.म.ग.ग.] [त. भ.ज.ज.ग.ग.]
[भ.न.न.न.ल.ग.] [म.त. न. स. ग.ग. ]
[न. न.र. स.ल.ग.]
सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क
१४१. चक्रम् १४२. असम्बाधा
१४३. अपराजिता
१४४. प्रहरणकलिका [न.न.भ.न.ल.ग.]
१, १३, १५, कुटिलमति:- २; कुटिलगतिः - १०;
६ में चन्द्रिका का लक्षण 'न. न. त. र. ग.' है और १६ में 'य. म. र. र. ग. ' है ।
चतुर्दशाक्षर छन्द
[ ४३६
१७, उत्पलिनी-१, १७;
१, १५.१७; सिंहनाद: - १,
१, १०, १६; कुटजा - १७; भ्रमरी - १६; क्षमा - १७.
१७; कुटजं
भ्रमरः - ११;
१, १५, १७; सुवक्त्रा - १०, १६; श्रचला ११.
१, १३; १० में 'न. त.त. र. ग.' लक्षण है । १; लयः - १०; उपगतशिखा - १७,
१, १४; चन्द्रलेखा - १, १०; चन्द्ररेखा - १५.
१; विद्युन्मालिका - १०.
१, ४, १०, १६, प्रभावती - १५, १६, १७. रुचि:- १६.
१; श्रडमरू - १७.
१; संकल्पासारः - १७; संकल्पाधारः - १७० १, २, ३, ४, ५, ६, ६, १०, १२, १३, १५, १६, १७, १८, १९; काश्यपमते सिंहोन्नता - २, ७, ११, १३, १७, २२ सैतवमते उद्धर्षिणी - २, १०, १३, १७; राममते मधुमाधवी १७; भरतमते सुन्दरी१७; वसन्ततिलकम् - ८, २०, २२; सैतवमते इन्दुमुखी - २२०
१, १२, १७; चक्रपदम् - ६, १६.
१, २, ३, ५, ६, १०, १३, १५, १७, १८, १९, २०, २२.
१,२, ५, ६, १०, १३, १५, १७, १८, १६, २०, २२.
१, ५, ६, १५, १७, १६, २०; प्रहरणंकलिता - २, १०, १३, १८ प्रहरणगलिता२२.