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क्र. छन्द-नाम
लक्षण
सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्क ेताङ्क
८. केतुमती १,३ [ स.ज.स.ग.] २,४. [ भ.र.न. ग.ग.] १, २, ३.५, ६, १०, १३, १७,
१८, १९, २०, २२.
६. वाङ्मती
[र.ज.र.ज.]
[ ज. र. ज. र. ग. ] १; यवमती - २, ५, ६, १०, १३, १८ अमरावती - १७; यमवती१७, २०, २२, यवध्वनि - १६; के अनुसार 'र. ज. र.ज.ग. ' 'अ.र. ज. र. ग.' 'लक्षण है ।
२०
[र.ज.र.ज.ग.] १, ५, १०, १४.
१०. षट्पदावली, [ज. र. ज. र. ]
१. उद्गता
वर्णिक छन्दों के लक्षण एवं नाम-भेद
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४, ललितम्
विषमवृत्त
[*१. स. ज स.ल. *२. न. स.ज.ग. ★ ३. भ.न.भग. *४. स.ज.स.ग.] २. उद्गता भेदः [१. स. ज. स. ल.
२. न. स.ज.ग.
३. भ.न.ज.ल.ग. ४. स. ज. स.ग.]
३. सौरभम्
[
२. न. स.ज.ग.
+ त.स.ल. ३. र.न.भ.रा.
४. स. ज. स.ज.ग.]
५, भावः
ور
[१. स. ज.स.ल.
३. न.न.स.स.
[१. म. म.
३. म.म.
"
[ ४४६
१, २, ४, ५, ६, १०, १३, १५, १७, १८, १६; उद्यतः २०,
१, १५, २२
१, १७; सौरभकम् - २, ५, ६. १०, १३, १५, १८, १६; सौरभक :- २०६ सौरभक्तं - २२.
१, २, ५, ६, १०, १३, १५, १७, १५, १६, २२, ललित :- २०
२. न. स.ज.ग.
४. स.ज.स.ज.ग.]
२. म.म.
४. भ.भ.भ.ग.]
१.
६, वक्त्रम् [ लक्षण अनुष्टुप् के समान है किन्तु द्वितीय और चतुर्थ चरण में 'म.ग. य ग.' होता है ]
१, २, ३, ४, ५, ६, १०, १३, १५, १७, १८, १९, २०, २२.
७, पथ्यावक्त्रम् [ लक्षण अनुष्टुप् के समान है किन्तु द्वितीय एवं चतुर्थ चरण का पांचवां छठा श्रौर सातवां अक्षर 'जगण' होता है]
१, २, ६, १०, १३, १५, १७, १५; पथ्या-५, १६, २०, २२.
* - १ - प्रथम चरण का लक्षण, २- द्वितीय चरण का लक्षण, ३- तृतीय चरण का लक्षण, ४- चतुर्थ चरण का लक्षण ।