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वृत्तमौक्तिक-चतुर्थ परिशिष्ट (ख.)
क्रमांक छन्द-नाम
लक्षण
सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क
११६. कामदत्ता नि.न.र.य.] १, ३, १०, १६; परिमितविजया-१७. ११७. वसन्तचत्वरम् [ज.र.ज.र.] १, ६, ११; विभावरी-१०; पञ्चचामरम्
१३, १५; ललामललिताधरा-१७; ११८. प्रमुदितवदना [न.न.र.र.
१, ६, १०, १३, १७, १९, २२; प्रभा-१, ११, १३, १७; चञ्चलाक्षी-२, ११,
मन्दाकिनी-१७; गौरी-१४. ११६. नवमालिनी न.ज.भ.य.] १, २, १०, १४, १८, १९, २०, २२;
नवमालिका-१३, १५, नयमालिनी-१७;
वनमालिका-१७. १२०. तरलनयनम् [न.न.न.न.] १, १२, १५, १७; तरलनयना-१६
तरलनयनी-६.
त्रयोदशाक्षर छन्द १२१. वाराहः [म.म.म.म.ग.] १; सव्याली-१७. १२२. माया [म.त य.स.ग.] १, ६, १२, १६; मत्तमयूरम्-१, २, ३,
४, ६, ६, १०, १३, १५, १७, १८, १९,
२२; मत्तमयूरः-२०. १२३. तारकम् [स.स.स.स.ग.] १, ६, १२, १६, १७. १२४. कन्दम् य.य.य.य.ल.] १, ६, १२, १६; कन्द:-१७; कन्दुकम्
१२५. पङ्कावलिः [भ.न.ज.ज.ल.
१, ६, १२; पङ्कवती-१७; कमलावली
१२६. प्रहर्षिणी [म.न.ज.र.ग.]
१२७. रुचिरा
[ज.भ.स.ज.ग.]
१२८. चण्डी
(न.न.स.स.ग.]
१, २, ३, ४, ६, ८, १०, १३, १५, १६, १७, १८, १९, २०, २२, मयूरपिच्छम्-७. १, २, ४, ५, ६, १०, १३, १५, १७, १८, १९, २०, २२; प्रभावती-३; सदागतिः-७; अतिरुचिरा-१४, १७. १, १५, १७; कमलाक्षी-१०; हाकलिका१७; कलावती-१६. १, १३, १५, १७: सुनन्दिनी-१, नन्दिनी५, १०, १९, २२, प्रबोधिता-१, १५ कनकप्रभा-२, १४; मनोवती-११, १६ में 'न. ज. स. ज. ग.' और १० में 'ज. त. ज.स. ग.' लक्षण भी माना है।
१२६. मजुभाषिणी [स.ज.स.ज.ग.]