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३. ग संज्ञक प्रति
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर. संख्या ५८३
माप - २५.८c.m.X१०.७C.m. पंक्ति १८. ;
पत्र संख्या १०. ;
अक्षर ५६
लेखनकाल अनुमानतः १८वीं शती का प्रथम चरण; लिपि सुन्दर है
किन्तु शुद्ध है ।
इसमें रचना और लेखन - प्रशस्ति नहीं है ।
वृत्तमौक्तिक द्वितीय खण्ड
१. क संज्ञक. आदर्श प्रति
वृत्तमोक्तिक
अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर. संख्या ५५३०
माप - २५.२c.m.x१०.६c.m.
पत्र संख्या १६६. ; लेखनकाल १६६०. वि०
२ ख. संज्ञक प्रति
शुद्धतम एवं संशोधित प्रति है ।
" || संवत् १६९० समये श्रावणवदि ११ रवौ शुभदिने लिखितं शुभस्थाने अलपुरनगरे लालमनिमिश्रेण । शुभम् । इदं ग्रंथसंख्या ३८५० ।"
पंक्ति ७० ; अक्षर ३६ लेखक - लालमनि मिश्र लेखनस्थान – प्रर्गलपुर (आगरा) लेखन- प्रशस्ति इस प्रकार है
अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर संख्या ५५२६
माप २६.५c.m. X ११.३c.m.
पत्र संख्या १६१; पंक्ति ७ ; लेखनकाल १८वीं शती का पूर्वार्द्ध
शुद्धलेखन, शुद्धप्रति लेखन प्रशस्ति नहीं है ।
वृत्तमौक्तिक-वात्तिकदुष्करोद्धार
टी० लक्ष्मीनाथ भट्ट
अक्षर ३६
दोनों टीकाओं की अद्यावधि एक-एक ही प्रति प्राप्त होने से उन्हीं के आधार से सम्पादन किया है। दोनों टीकाओं की प्रतियों का परिचय इस प्रकार है
अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर संख्या ५५३३
माप २७.५c.m. X ११.५_c.m.