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________________ ६० ] ३. ग संज्ञक प्रति राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर. संख्या ५८३ माप - २५.८c.m.X१०.७C.m. पंक्ति १८. ; पत्र संख्या १०. ; अक्षर ५६ लेखनकाल अनुमानतः १८वीं शती का प्रथम चरण; लिपि सुन्दर है किन्तु शुद्ध है । इसमें रचना और लेखन - प्रशस्ति नहीं है । वृत्तमौक्तिक द्वितीय खण्ड १. क संज्ञक. आदर्श प्रति वृत्तमोक्तिक अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर. संख्या ५५३० माप - २५.२c.m.x१०.६c.m. पत्र संख्या १६६. ; लेखनकाल १६६०. वि० २ ख. संज्ञक प्रति शुद्धतम एवं संशोधित प्रति है । " || संवत् १६९० समये श्रावणवदि ११ रवौ शुभदिने लिखितं शुभस्थाने अलपुरनगरे लालमनिमिश्रेण । शुभम् । इदं ग्रंथसंख्या ३८५० ।" पंक्ति ७० ; अक्षर ३६ लेखक - लालमनि मिश्र लेखनस्थान – प्रर्गलपुर (आगरा) लेखन- प्रशस्ति इस प्रकार है अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर संख्या ५५२६ माप २६.५c.m. X ११.३c.m. पत्र संख्या १६१; पंक्ति ७ ; लेखनकाल १८वीं शती का पूर्वार्द्ध शुद्धलेखन, शुद्धप्रति लेखन प्रशस्ति नहीं है । वृत्तमौक्तिक-वात्तिकदुष्करोद्धार टी० लक्ष्मीनाथ भट्ट अक्षर ३६ दोनों टीकाओं की अद्यावधि एक-एक ही प्रति प्राप्त होने से उन्हीं के आधार से सम्पादन किया है। दोनों टीकाओं की प्रतियों का परिचय इस प्रकार है अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर संख्या ५५३३ माप २७.५c.m. X ११.५_c.m.
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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