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भूमिका
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सप्तम परिशिष्ट
इस परिशिष्ट में ग्रन्थकार चन्द्रशेखर भट्ट ने वृत्तमौक्तिक में छन्दों के प्रत्युदाहरण देते हुए जिन ग्रन्थकारों और ग्रन्थों के उद्धरण दिये हैं उनकी अकारानुक्रम से सूची दी है। कतिपय स्थलों पर 'अन्ये च' 'यथा वा' कह कर जो उद्धरण दिये हैं, उनका भी मैंने इस सूची में उल्लेख कर दिया है। अष्टम परिशिष्ट
इस परिशिष्ट में मैंने अनेक सूचीपत्रों के आधार से 'छन्दः शास्त्र के ग्रन्थ और उनकी टीकायें' शीर्षक से ग्रन्थों की अकारानुक्रम से विस्तृत सूची दी है। इसमें ग्रन्थ का नाम, उसकी टीका, ग्रन्थकार एवं टीकाकार का नाम तथा यह ग्रन्थ कहां प्राप्त है या किस सूची में इसका उल्लेख है, संकेत किया है। शोध करने पर और भी अनेकों ग्रन्थ प्राप्त हो सकते हैं। मैं समझता हूं कि छन्दः शास्त्रियों और शोधकर्ताओं के लिये यह सूची अवश्य ही उपादेय एवं मार्ग दर्शक सिद्ध होगी।
प्रति-परिचय मूल ग्रन्थ का सम्पादन पांच प्रतियों के आधार से किया गया है जिसमें तीन प्रतियां प्रथम खण्ड की हैं और दो प्रतियां द्वितीय खण्ड की हैं। इन पांचों प्रतियों का परिचय इस प्रकार है
वृत्तमौक्तिक, प्रथम खण्ड १. क संज्ञक, आदर्श प्रति
अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर. संख्या ५५२७ माप-२६.५ com.x११.३ c.m. पत्र संख्या ४१; पंक्ति ७; अक्षर ३६ लेखन-काल १८वीं शती का पूर्वार्द्ध
शुद्धलेखन, शुद्धतम प्रति २. ख संज्ञक प्रति
अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर. संख्या ५५२८ माप-२५.२ c.m.X१०.६ c.m. पत्र संख्या २३. ; पंक्ति १०.; प्रक्षर ४२. लेखन काल १६६० के लगभग, संभवतः लालमनि मिश्र की ही लिखी
अपूर्ण प्रति।
शुद्धलेखन, शुद्धतम प्रति