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चतुर्थ परिशिष्ट 12 -; क. मात्रिक छन्दों के लक्षण एवं नाम-भेद सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूचीग्रन्थ-नाम
ग्रन्थकार क्तिक
चन्द्रशेखर भट्टः २. छन्दःसूत्र
पिङ्गल ३. नाट्यशास्त्र
प्राचार्य भरत ४. बृहत्संहिता
वराहमिहिर ५. स्वयम्भूछन्द
स्वयम्भू ६. कविदर्पण
अज्ञात ७. वृत्तजातिसमुच्चय
कवि विरहाङ्क ८. सुवृत्ततिलक
क्षेमेन्द्र ६. प्राकृतपैङ्गल
हरिहर (?) १०. छन्दोनुशासन
हेमचन्द्राचार्य ११. छन्दोनुशासन-स्वोपज्ञटीका १२. वाणीभूषण
दामोदर १३. वृत्तरत्नाकर
केदारभट्ट १४. वृत्तरत्नाकर-नारायणीटीका नारायणभट्ट १५. छन्दोमञ्जरी
गंगादास १६. वृत्तमुक्तावली
श्रीकृष्णभट्ट १७. वागवल्लभ
दुःखभजन १८. जयदेवच्छन्दः
जयदेव १६. छन्दोनुशासन
जयकीर्ति २०. रत्नमञ्जूषा
अजात जैन कवि २१. गाथालक्षण
नन्दिताढ्य २२. छन्दोविचिति
जनाश्रय संकेत-छन्दनाम=वृत्तमौक्तिक के क्रमानुसार हैं। मात्रासंख्या-छन्द के प्रत्येक चरण की
मात्रायें। लक्षण==६ मात्रा, ठ=५ मात्रा, ड=४ मात्रा, ढ=३ मात्रा, ग=२ मात्रा, ग=दो मात्रा, ल=१ मात्रा । सन्दर्भ-गन्थ-सङ्कता=ऊपर सूचित सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूची की क्रम-सूचक संख्या है । छन्द-नाम एवं लक्षण के आगे के अंक यह सूचित करते हैं कि इन-इन अंकों के ग्रन्थों में भी यह छन्द इसी नाम से स्वीकृत हैं और नाम-भेद के आगे के अंक यह सूचित करते हैं कि इन-इन ग्रन्थों में इसी लक्षण का छन्द इस नाम से प्रचलित है। जिन छन्दों का इन ग्रन्थों में उल्लेख नहीं है उनके अंक यहाँ नहीं दिए गए हैं।