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भूमिका
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तुरग
२२६
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१४
अच्युत उत्पलं तुरङ्ग गुणरति मातङ्गखेलित तिलक पङ्केरुह सितकञ्ज पाण्डूत्पल इन्दीवर अरुणाम्भोरुह फुलाम्बुज चम्पक वजुल कुन्द बकुलभासुर बकुलमंगल मञ्जरीकोरक गुच्छ कुसुम दण्डकत्रिभंगी कलिका विदग्धत्रिभंगी कलिका
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अच्युत
२२१ उत्पल
२२८
२३४ गुणरति
२२६ मातङ्गखेलित तिलक पङ्क रुह सितकञ्ज
२३८ पाण्डूत्पल
. २३६ इन्दीवर
२४० अरुणाम्भोरुह २४२ फुल्लाम्बुज २४३ चम्पक
२४५ वञ्जुल
२४६
२४७ बकुलभासुर २४८ बकुलमंगल २४६ मंजरोकोरक गुच्छक कुसुम
२५३ दण्डकत्रिभंगी कलिका २५५ संपूर्णा विदग्धत्रिभंगी
कलिका २५६ मिश्रकलिका २५८ साप्तविभक्तिकी कलिका २६१ अक्षमयी कलिका २६२ सर्वलघुक-कलिका २६४
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३३
२५१ २५२
३४
२७
मिश्रा कलिका साप्तविभक्तिकी कलिका अक्षमयो कलिका सर्वलघुकलिका
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२६
३
___ गोविन्दविरुदावली के अतिरिक्त जिन चण्डवृत्तों के लक्षण वृत्तमौक्तिक में दिये गये हैं उनके उदाहरण एक-एक चरण के ही प्राप्त हैं, पूर्ण उदाहरण या प्रत्युदाहरण प्राप्त नहीं हैं । इन चण्डवृत्तों की तालिका इस प्रकार है