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वृत्तमौक्तिक
१५ अक्षर-लीलाखेल, मालिनी, चामरं, भ्रमरावलिका, मनोहंस, शरभ, निशिपालक, विपिनतिलक, चन्द्र लेखा, चित्रा, केसरं, एला, प्रिया, उत्सव और उडुगए नामक छन्दों के लक्षण एवं उदाहरण दिये हैं । लीलाखेल का सारंगिका चामरं का तूणकं, भ्रमरावलिका का भ्रमरावली, शरभं का शशिकला तथा यतिभेद से मणिगुण निकर एवं स्रग्, चन्द्रलेखा का चण्डलेखा, चित्रा का चित्रं और प्रिया का यतिभेद से अलि नामभेद दिये हैं ।
लीलाखेल, मालिनी, चामर, भ्रमरावलिका, मनोहंस, मणिगुणनिकर, स्रग् निशिपालक, और विपिनतिलक के प्रत्युदाहरण भी दिये हैं, जिसमें मालिनी के ३ प्रत्युदाहरण हैं।
१६ अक्षर-राम, पञ्चचामर, नील, चञ्चला, मदनललिता, नन्दिनी, प्रवरललित, गरुडरुत, चकिता, गजतुरगविलसितं, शैलशिखा, ललितं, सुकेसरं, ललना और गिरिवरधृति नामक छन्दों के लक्षण एवं उदाहरण दिये हैं। राम का ब्रह्मरूपक, पञ्चचामर का नराच, चञ्चला का चित्रसंग, गजतुरगविलसितं का ऋषभगजविलसितं और गिरिवरधृति का अचलधृति नामभेद दिये हैं । पञ्चचामर तथा चञ्चला के प्रत्युदाहरण भी दिये हैं ।
१७ अक्षर-लीलाधृष्टं, पृथ्वी, मालावती, शिखरिणी, हरिणी, मन्दाक्रान्ता वंशपत्रपतितं, नईटक, यतिभेद से कोकिलक, हारिणी, भाराकान्ता, मतङ्गवाहिनी, पद्मकं और दशमुखहर नामक छन्दों के लक्षण सहित उदाहरण दिये हैं । मालावती का प्राकृतपिंगल के अनुसार मालाधर, वंशपत्रपतितं का वंशपत्रपतिता और प्राचार्य शम्भु के मतानुसार वंशवदनं नामान्तर दिये हैं। पृथ्वी, शिखरिणी, हरिणी, मन्दाक्रान्ता, वंशपत्रपतितं, नईटक और कोकिलक के प्रत्युदाहरण भी दिये हैं; जिसमें शिखरिणी के तीन तथा हरिणी के चार प्रत्युदाहरण हैं।
१८ अक्षर-लीलाचन्द्र, मञ्जीरा, चर्चरी, कीडाचन्द्र, कुसुमितलता, नन्दन, नाराच, चित्रलेखा, भ्रमरपद, शार्दूलललित, सुललित और उपवनकुसुम नामक छन्दों के लक्षण सहित उदाहरण दिये हैं । नाराच का मजुला नामान्तर दिया है। मजीरा, चर्चरी, क्रीडाचन्द्र, कुसुमितलता, नन्दन और नाराच के प्रत्युदाहरण भी दिये हैं जिसमें चर्चरी के पांच और नन्दन के दो प्रत्युदाहरण हैं।
१६ अक्षर-नागानन्द, शार्दूलविक्रीडित, चन्द्र, धवल, शम्भु, मेघविस्फूजिता, छाया, सुरसा, फुल्लदाम, और मृदुलकुसुम नामक छन्दों के लक्षण सहित उदाहरण हैं। प्राकृतपिंगलानुसार चन्द्र का चन्द्रमाला, और धवल का