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जैसे नदीयोंका जल प्रवाहसे विना एक ठकाणे रुकता नही तैसे ज्ञानवालेकी दृष्टिभी ज्ञानप्रवाहते नही बंद होती. १५ जैसे काल भगवान् जीवोंके आयुःचिंतन करनेमे चूकता नही, तैसे ज्ञानी अखंड आत्मचिंतनसे नहीं चूकता. १६ ।
५॥ हे महामुने! जैसे वायु गमनक्रियासे कबी बंद नहीं होता तैसे ज्ञानीकी बुद्धिभी चैतन्यको भूलती नही. १७ जैसे कालकी गमनशक्ति स. वत्र देखती रहती है, तैसे दृश्यरहित चितिदेवीभी स्फुरणरूपसें सदा स्थित होई स्वमहिमामे स्थिर रहती है. १८ जैसे अस्ति नाम है इस सत्तासें विना कोइ पदार्थ नही तैसे ज्ञानीको ज्ञान विना खाली कोई समय नही. १९ जैसे गुणीपदार्थ संसारमें गुणविना होता ही नही तैसे ज्ञानवान्भी आत्मज्ञानरहित होताही नही. २० मै सर्वदा ज्ञानरूप हूं सर्वदा निर्मल दूं सर्वदा शांतात्मा हूं स. र्वदा समाधिवाला हूं. २१
६॥ हे मुने हम चेतन रूपका और समाधिका किसने भेद उत्पन्न कीया है मेरेको अभिन्न होनेसे सर्वदाही सत्य आत्मता अखंडित है यही समाधि है. २२ एक आत्मस्वरूप ही होनेते कबीभी मेरामन असमाधिवाला वा समाधिवाळा नही होता. २३
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