Book Title: Vedant Prakaranam
Author(s): Vigyananand Pandit
Publisher: Sarasvati Chapkhanu

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Page 202
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिन बह्मा-शंकर, विश्वामित्र ऋषिमुनि महापूजा नेयोग्योंमे तथा जिनोंके नामोच्चारणसे कृतार्थकरनेवालोंमें तथा ज्ञान ध्यानमें सर्वदास्थिति करनेवाले तथा करावनेवालेयामे कामातुरता मनसेभी चिंतननही होसकती तो ये ऋषि, मुनि, देव, सर्वकामी है एसें वाणीसकहनेमे आस्तिक पुरुषप्रवृत्त कैसे होवेगा यह जो वार्ता हमने कही है तिसमे प्रमाणभी सुनो। ___३॥ व्यासमुनिःजो तुमारा सखा है सो श्रीकृष्ण भगवानके गुणोंके वर्णन करणेकी अभिलाषा वाला हूवा भारतको रचिता भया है ॥ तिस हरिकथामे मनुष्यों के विषयसंबंब्धि कथावोंके कथनद्वारा पामरपुरुषों के बुध्धिकों परमेश्वर श्रीकृष्णचंद्रके कथावोंमे आकर्षन कीया है । एसे विदुरजीने गंगाजीके कांठापर मैत्रेयी ऋषिसे कथन कियाहै भागवतमे ॥१॥ तिसके टीकामेभी यही कहा है ॥कामीयोंके कामको लोभीयोंके लोभको कथनसे उलटा अज्ञान ज्ञाननेत्रहीन अंधजनोंको संसारकूपमे गिरावनाही समुझना जो व्यासजीका कामलोभादिकोके प्रवृत्तिमे तात्पर्य होवे सो नही है किंतु ॥२॥ पामर पुरुषोके चित्तको कथावोंमे आकर्षन करके फिर सुंदरकथाद्वारा कामलोभादिकोकी निंदा कहिकर कामादिकोंसे छुडाया है ॥ ३ ॥ For Private and Personal Use Only

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