________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( २५ ) १७॥ प्रश्नः-प्रमाणसे प्रमेयकी सिद्धि होती है वा प्रमेयसे प्रमाणकी सिद्धि होती है सो अनुभवपूर्वक प्रत्युत्तर कहो ॥ उत्तरं-कर्मकांडमे प्रमेय जो कर्म सो जड होनेते प्रमाणसे सिद्ध होता है अरु वेदांतोंमे प्रमेयको स्वप्रकाशरूप होनेते प्रमाणको स्वयं प्रकाश कर्ता है नाम. सिद्धकर्ता है ॥
१८॥प्रश्रः-जहां सन्मुख अपरोक्ष घट स्थित है तहां कहे विना बुद्धिमान यह घट है एसे जान सकता है ये वार्ता प्रसिद्ध है अरु जो ब्रह्मात्मा है सो स्वस्वरूप होनेते घटतेभी अपरोक्ष है " यत्साक्षादपरोक्षाद्ब्रह्म” एसे श्रुतिभी कहती है तो घटतेभी शीघ्र ब्रह्मज्ञान होना चाहीये परंतु होता नही उलटा गीतामे कृष्णदेव कहे है वहुतजन्मांतमे ज्ञानी हो. यकर मुजको प्राप्तहोता है तिसमे क्या कारण है। ॥उत्तरं-ज्ञानीजनामै घटकू जानताहूं इस घटज्ञानते प्रथम मै हूं एसे स्फुरणरूपको प्रत्यक्षात्मज्ञान मान है परंतु अज्ञानीजनको एसा अनुभवमे नही आवता जैसे अंध तथा उलूलको सूर्यभगवान् अनुभवमे नही आवता प्रत्यक्षहै तौभी ॥इति विंशतिकमलंसमाप्त । १॥ अथ एकविंशति कमलमे कृष्णाचंद्रमे शंका छ
For Private and Personal Use Only