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( १९)
॥ राजकुमारका उत्तर-सत्असत् दोनोके विचारसें-अविवेक नाश होता है वैराग्यहेतुसे विवेक उत्पन्न होता है और वैराग्यका कारण ये है जो विषयोंमे नाशरूपता राग द्वेषता पराधीनतादि दोष. दृष्टि करनी ॥ तिससे वैराग्य उत्पन्न होता है ॥
९॥ प्रश्नः-सत्असत्का विवेक कैसे होता है वैराग्यका क्या स्वरूप है तथा दोषदृष्टिकाभी कैसा रूप है ।। उत्तरं-जो देहादिकोंका तथा सर्व वृत्तियोंका ज्ञाता है. सो सत् है तैसे देहादिक सर्व वृत्तियों-असत् है एसे जाननेका नाम सदसद्विवेक है विषयोमे रागके अभावका नाम वैराग्य है विषयोमे दुःखदेनेकी सामर्थता नाशहोनाये दोषदृष्टि कही है।
१०॥ प्रभः-विवेक, वैराग्य दोषदृष्टि इन तीनोकी प्राप्तिका कारण कवन है और तिस कारणकाभी कवन कारण है तथा किस रीतिले प्राप्ति होवे है लो कहो ॥ उत्तरं-विवेक वैराग्य दोषदृष्टिइन तीनोके प्राप्तिका कारण केवल ईश्वरकी कृपा ही है तिस कृपाका कारण तन मन वाणीस तिसकी वेदोक्त आज्ञाका परिपालन करना तिसकीभी रीती सर्वदा सत्संग करते रहना सत्संग त्यागना नही ।
११॥प्रश्नः-ईश्वरका क्या स्वरूप है कैसे भक्ति होती है तथा-भक्तिके कारणीभूत महात्मा कैसे है।
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