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(२१) ॥ उत्तरं-जो सर्व जगत्का कर्ता, भर्ता हर्ता है सोई ईश्वर है तिसको भक्ति. सर्वत्र तिसको देखना तिसकी सर्वदा भय करनी तथा सर्वदा अखंड तिसमे-स्नेह करना और महात्मा वही है जो रागद्वेषसे रहित है तथा जे ज्ञानदाता है ॥
१२॥ प्रश्नः-इस संसारमे भयातुर कौन है और दुखी तथा दीन कौन है इन तीन प्रभोंका उत्तर देवो-|उत्तरं-इस संसारमें धनवान् भयातुर रहते है तिनोकों राजा चोर अग्नि आदिकोसें तथा कुटुंबसेभी भय रहता है बड़ा कुटुंबवाला स्वल्पधनी सर्वदा दुखी ही रहता है और सर्वदा आशावान् सर्वदा दीन रहता है। कोवा दरिद्रोहि विशालतृष्णः
१३॥ प्रश्नः-सर्वदा निर्भय तथा सुखी और निर्दीन कौन है ।। उत्तरं-जे धन जन कुटुंबसे रहित विरागी है ते निर्भय रहते है जे सर्वदा पापरहित है ते निर्भय रहते है और जो परोपकारी है ते निर्भय रहिते है तथा जे दृढ अपरोक्षज्ञानी है तथा जे दृढ परोक्षज्ञानी है ते सर्वदा निर्भय रहते है और जे सर्वदा ज्ञानमे वा ध्यानमें मग्न है ते सर्वदा सुखी रहिते है जे अपरोक्षज्ञानी जीवन्मुक्त हे ते सर्वदा निर्दीन रहते है । जैसे जडभरथ दतात्रयादिक है।
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