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( १५ ) अंतःकरणमे रहिता है तथा सत्यं ज्ञान मनंतं ब्रह्म एसा तिसका रूप है ।।
३॥ यक्ष प्रभः-जो विस्तारवाला है सोई अ-' तिसूक्ष्म कैसे होई सकता है “ सत्यं ज्ञान मनंतं ब्रह्म तिसका क्या अर्थ है तथा अंतःकरणकाभी क्या स्वरूपहै सो कहो ॥ उत्तरं ॥ निखिल ब्रह्मांडका अधिष्ठान होनेते विस्तारवाला है मनवाणीनेत्रादिकोंका अविषय होनेते वही सूक्ष्मभी हो सकता है और अविनाशी चेतन तथा परिच्छेद रहित तथा सर्वत्र पूर्ण होनेते सत्यं ज्ञानमनंतं ब्रह्मरूपभी सोई परमात्मा है और अंतःकरण जो है सो तिसकी उपाधिहै।
४॥ यक्षराज बोल्या-हे ज्ञाननिष्ठ राजकुमार तिस ब्रह्मके प्राप्तिका स्थान कौन है हमको कैसे प्राप्त होवेगा तथा मिलनेसे क्या फल होवेगा सो कहो।। राजपुत्र उवाच-अंतःकरण जो है सोई तिसके प्राप्तिका स्थान है चित्तको एकाग्रतासें तुमकों प्राप्त होवेगा जन्ममरणको निवृत्ति होनी यही फल तिसके दर्शनसे जीवोंको अवश्य ही मिलता है।
५ यक्ष प्रश्नः-हे कुमार अंतःकरण किसको कहते हो तथा एकाग्रता कैसी होती है और जन्मनाम किसका है तिसका उत्तर कहो॥राजपुत्र उवाचआवरणविशिष्ट चिति ही बुध्धि कही है
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