Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
वास्तु विज्ञान एवं कर्मफल
वर्तमान युग वैज्ञानिक युग कहा जाता है। विज्ञान पर विश्वास करने वाला समुदाय प्राचीन मान्यताओं को तर्क एवं प्रमाण की कसौटी पर परखता है । यदि कोई भी मान्यता व्यवहारिक प्रयोग में तथ्य परक परिणाम प्रगट नहीं करती हैं तो विज्ञान उसे कल्पना मानता है। वास्तु विज्ञान में उल्लेखित सैद्धांतिक मान्याओं को प्रमाण एवं तर्क की कसौटी पर रखने से उनमें यथार्थता परिलक्षित होती है। दिशाओं का ज्ञान, धरातल का ज्ञान, सूर्य प्रकाश एवं चुम्बकत्व धारा का ज्ञान आदि सभी विज्ञान सम्मत हैं। निश्चय ही इनका प्रभाव प्राणी मात्र के जीवन पर पड़ता है।
जैन दर्शन के अनुसार प्राणी मात्र का शुभाशुभ उनके कर्मों के उदय- विपाक पर आधारित हैं। उसके कर्म फल के अनुरूप ही उसे जहां एक ओर सांसारिक सुख, वैभव, सम्पदाएं आदि प्राप्त होती हैं। वहीं दूसरी ओर सांसारिक दुख, रोग, कलह, धनक्षय, संतत्तिनाश, वंशनाश, वैधव्य इत्यादि दुःख भी प्राप्त होते हैं। किसी को पतिव्रता स्त्री की प्राप्ति होती है तो कोई कलहकारिणी, स्वैराचारिणी स्त्री से जीवन पर्यन्त नरक तुल्य दुख भोगता है। किसी को अनुकूल स्वास्थ्य मिलता है तो कोई जन्म से ही पोलियो इत्यादि बीमारियों से विकलांग हो जाता है। किसी को एक-एक पैसे के लिए तरसते देखा जाता है तो कोई लाखों रुपये भोग-विलास में व्यय करता है। एक ओर विवाहादि आयोजनों में धन एवं भोजन की बरबादी देखी जाती है तो वहीं दूसरी ओर उनके द्वारा फेंकी गई जूठन के लिए भी लोगों को तरसते देखा जाता है। कोई महलों में रहता है जिनका रखरखाव, साफ सफाई तक नहीं होती तो कोई लाखों रुपए व्यय करके भी दो कमरों का फ्लैट नहीं ले पाता। तात्पर्य यह है कि संसार में सुख-दुख की दृष्टि से बड़ी विचित्रता देखी जाती है। जैन शास्त्रों का स्पष्ट कथन है कि सभी प्राणी अपने अर्जित कर्मानुसार ही फल भोगते हैं। अनुकूल अथवा प्रतिकूल आवासगृहों की प्राप्ति भी अपने- अपने कर्मानुसार ही होती है। हमारे द्वारा पूर्वकृत कर्म ही वे पुरुषार्थ हैं, जो हमें पुण्य या पाप का उपार्जन कर तदनुरूप सामग्री प्राप्त कराते हैं।
यहां यह विचारणीय प्रश्न उपस्थित होता है कि यदि सारा जगत कर्म फल आधारित व्यवस्था पर चल रहा है तो क्या पुरुषार्थ निष्फल है ? क्या इस