Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
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वास्तु ज्योतिष गणित
वास्तु के अंग देवालय, भवन या इमारत का निर्माण करने के पूर्व अग्रलिखित अंगों का शुभाशुभ फल अवश्य ही आँकलित कर लेना चाहिए। इन अंगों के नाम इस प्रकार हैं
1. क्षेत्रफल 2. आय 3. नक्षत्र 4. नक्षत्रगण 5. नक्षत्रदिशा 6. नक्षत्रवैर 7. व्यय 8. तारा 9. नाड़ी 10. राशि . राशिस्वामी 12. गृहनामाक्षर 13. अंशक 14. लग्न 15. तिथि 16, वार 17. करण 18. योग 19. वर्ग 20. तत्व
21. आयु आकलन का उदाहरण
यदि 5 हाथ 5 अंगल लंबी, इतना ही चौडा तथा 6 हाथ 1 अंगल ऊंची कोई वास्तु निर्मित करनी है तो सर्वप्रथम इनको अंगुलियों के मान में परिवर्तित करें।
चूंकि । हाथ = 24 अंगुल, अतएव लंबाई (5 हाथ x 24) + 5 अंगुल = 125 अंगुल। चौड़ाई (5 हाथ x 24) + 5 अंगुल = 125 अंगुल।
ऊंचाई ( 6 हाथ x 24) + 1 अंगुल = 145 अंगुल 1. क्षेत्रफल- यूकि लंबाई x चौड़ाई = क्षेत्रफल
अतएव 125 x 125 = 15625 वर्गांगुल
अंगुल अंगुल
इस प्रकार क्षेत्रफल 15625 वर्गांगुल होगा। 2. आय- वास्तु के कुल क्षेत्रफल में 8 का भाग दीजिए। शेष
जिलना आये यह प्रथम क्रम से आय होगी। पूर्व उदाहरण में क्षेत्रफल 15625 वर्गागुल है, अत: 15625 +8 - 1953 लब्ध आया, शेष 1 रहा।
अतएव प्रथम ध्वज आय है और यह शुभ है।