Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur

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Page 280
________________ वास्तु चिन्तामणि 253 बाजे बजाने का मन्त्र घंटा झालर ढोल बजाऊँ वीणा बांसुरी आदि। सब वाद्यों को पुष्प ले अर्पण नाना आदि 115।। ऊँ ह्रीं वाद्यमुद्घोषयामि स्वाहा।। (पुष्पांजलि क्षिपेत्) जल थल शिला बालुका लेकर, भूमि शोधन करता हूँ। हीरा माणिक मोती लेकर सुन्दर मंडल रचता हूँ। आम्र अशोकादिके पल्लव से मंडप को सजाया आज! नानाविध के पुष्प चढ़ाकर, पुष्पांजलि मैं करता आज।।6।। ॐ हीं वास्तुमंडपे (पुष्पांजलि क्षिपेत्) पंचकुमार पूजा वास्तु कुमार देव को, पूनँ मन हर्षाय। यज्ञ भाग का अंश दे, अर्घ्य चढ़ाऊँ आय।।7।। ॐ हीं हे वास्तु कुमार देव अत्र आगच्छ आगच्छ इदं अयं समर्पयामि स्वाहा।। शान्तिधारा पुष्पांजलि क्षिपेत् वायुकुमार देव को, पूनँ मन वच काय। अष्ट द्रव्य से पूजहूँ, मन में बहु हर्षाय।।8।। ऊँ ह्रीं हे वायु कुमार देव अत्र आगच्छ आगच्छ इदं अयं समर्पयामि स्वाहा। ॐ हीं हे वायु कुमार देव सर्वविघ्न विनाशनाय महीं पूता कुरु-कुरु हूं फट् स्वाहा। (दर्भपूले से भूमि संमार्जन करें) मेघ गर्जना करते करते, मेघ कुमार पधारो आज। यज्ञ भाग में जल बरसा कर, भूमि प्रक्षालन कर दो आज।। जल चन्दनादि द्रव्य सजाकर अर्घ्य समर्पण करता हूँ। मन वच तन से पूजा करके, मन में शांति भरता हूँ।।१।। ॐ हीं हे मेघकुमारदेव अत्र आगच्छ आगच्छ इदं अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा। ॐ ह्री हे मेघकुमारदेव धरां प्रक्षालय-प्रक्षालय अंहं संवं झंढं यक्ष फट स्वाहा।

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