Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur

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Page 293
________________ 266 वास्तु चिन्तामणि हे आपवत्स देव! इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूपं, चरु, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । - शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ गुड़, चावल का आटा, सफेद कमल, शंख अम्बोली चढ़ाएँ । ( 22 ) पर्जन्य देव पूजा J हे पर्जन्य देव पधारो यज्ञ में गृह शांति करो परिवार में। वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में । 122 1 1 ॐ आं क्रौं ह्रीं जलवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे पर्जन्य देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे पर्जन्य देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । - - शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ घी चढ़ाएँ । ( 23 ) जयन्त देव पूजा हे जयन्त देव पधारो यज्ञ में गृह शांति करो परिवार में । , वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में | | 23 || ॐ आं क्रौं ह्रीं कृष्णवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे जयन्त देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे जयन्त देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्पं, दीपं धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिक यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । - - शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ ताजा मक्खन चढ़ाएँ । ( 24 ) भास्कर देव पूजा " हे भास्कर देव पधारो यज्ञ में गृह शांति करो परिवार में। वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में । 24।। ॐ आं क्रौं ह्रीं श्वेतवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे भास्कर देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा ।

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