Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur

View full book text
Previous | Next

Page 297
________________ 270 वास्तु चिन्तामणि फलं स्वस्तिक यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् समर्पयाशि दाहा। शातिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ उड़द की घूगरी चढ़ाएँ। (34) दोवारिक देव पूजा दोवारिक देव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते। वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए।134।। ॐ आ क्रौं ह्रीं सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे दोवारिक देव अब आगच्छ -आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। हे दोवारिक देव इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम्, पुष्पं, दीपं, धूपं, चरु, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्य समर्पयामि स्वाहा। शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ चावल का आटा चढ़ाएँ। (35) सुग्रीव देव पूजा सुग्रीव देव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते। वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए।। 35।। ॐ आं क्रौं ह्रीं चन्द्रवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे सुग्रीव देव अत्र आगच्छ -आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। हे सुग्रीव देव इदमयं पाद्यं जल, गंध, अक्षतम्, पुष्प, दीप, धूपं, चरु, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा। शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ लड्डू चढ़ाएँ। (36) पुष्पदंत देव पूजा पुष्पदंत को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते। वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए।।36।। ॐ आं क्रौं ही श्वेतवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे पुष्पदंत अत्र आगच्छ - आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। हे पुष्पदंत इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम्, पुष्प, दीप, धूपं, चरुं, बलि,

Loading...

Page Navigation
1 ... 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306