Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur

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Page 295
________________ 268 वास्तु विन्तामणि बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ हल्दी और उड़द का चूर्ण चढ़ाएँ । ( 28 ) पूषदेव पूजा पूषदेव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते । वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए । 12711 ॐ आं क्रौं ह्रीं रक्तवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे पूषदेव अत्र आगच्छ- आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे पूषदेव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्पं, दीपं, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ तुअर के बाकरे व दूध चढ़ाएँ । ( 29 ) वितथ देव पूजा वितथ देव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते । वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए । 127 || ॐ आं क्रौं ह्रीं इन्द्रचापवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे वितथ देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः - - स्वाहा । हे वितथ देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्पं दीपं धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । - शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ सौंठ, काली मिर्च व पीपल चढ़ाएँ । ( 30 ) राक्षस देव पूजा राक्षस देव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते । वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए । 13011 ॐ आं क्रौं ह्रीं इन्दुवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे राक्षस देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे राक्षस देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्पं, दीप, धूप, चरु, बलि,

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