Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur

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Page 301
________________ वास्तु चिन्तामणि J हे उदितिदेव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम्, पुष्पं, दीपं धूप, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । 274 शांतिधारा (पुष्पांजलि क्षिपेत् । अर्घ्य के साथ मोदक लड्डू चढ़ाएँ । (46) विचार्य देव पूजा विचार्य देव परिवार सहित, पूजूँ मन हर्षाय । रोग शोक सब ही टले मन में शांति पाय | 146 || ॐ आं क्रौं ह्रीं अग्निवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे विचार्य देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे विचार्य देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम्, पुष्पं, दीपं, धूप, च, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ नमक डला हुआ भात चढ़ाएँ । ( 47 ) पूतनादेव पूजा पूतना देव परिवार सहित, पूजूँ मन हर्षाय । रोग शोक सब ही टले मन में शांति पाय ||47| 1 ॐ आं क्रौं ह्रीं हेमवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे पूतनादेव अत्र आगच्छ- आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे पूतना देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम्, पुष्पं, दीप, धूपं, च, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । - - शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ तिल और भात चढ़ाएँ । देव पूजा ( 48 ) पाप राक्षसी पाप राक्षसी देव को पूजूँ मन हर्षाय । रोग शोक सब ही टले मन में शांति पाय । 143 ।। ॐ आं क्रौं ह्रीं मेघवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे पाप राक्षसी देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा ।

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