Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur

View full book text
Previous | Next

Page 299
________________ 272 वास्तु चिन्तामणि फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा। __ शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ गुड़ की मीठी पूड़ी चढ़ाएँ। (40) नागदेव पूजा नागदेव की आज मैं पूजा करूँ हर्षाय। अष्ट द्रव्य सब आदि से अचूं सुख को पाय।।4।। ॐ आं क्रौं ह्रीं शंखवणे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे नागदेव अत्र आगच्छ - आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। से गाय देव इदमऱ्या पाटा जलं. गंध, अक्षतम्, पुष्प, दीप, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे-यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा। शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ शक्कर मिला हुआ दूध और पका भात चढ़ाएँ। (41) मुख्यदेव पूजा मुख्यदेव की आज मैं पूजा करूँ हर्षाय। रोग शोक सब ही टले मन में शांति पाय।।4111 ॐ आं क्रौं ही मौक्तिकवणे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाइन वधु चिन्ह सपरिवार हे मुख्यदेव अत्रं आगच्छ -आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। हे मुख्यदेव इदमयं पाधं जलं, गंध, अक्षतम्, पुष्पं, दीपं, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अध्यं समर्पयामि स्वाहा। शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ श्रीखंड चढ़ाएँ। (42) भल्लाट देव पूजा भल्लाट देव की आज मैं पूजा करूँ हर्षाय। रोग शोक सब ही टले मन में शांति पाय1142|| ॐ आं क्रौं ही श्वेतवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे भल्लाट देव अत्र आगच्छ-आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।

Loading...

Page Navigation
1 ... 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306