Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur

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Page 296
________________ वास्तु चिन्तामणि फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । अर्घ्य के साथ गुड़ चढ़ाएँ । ( 31 ) गन्धर्व देव पूजा गन्धर्व देव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते । वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए । | 31|| ॐ आं क्रौं ह्रीं पद्मवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे गन्धर्व देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे गन्धर्व देव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम् पुष्पं, दीपं धूपं, च, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । " - - - शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ कपूर और सुगन्धित चढ़ाएँ । ( 32 ) भृंगराज देव पूजा 269 - शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) भृंगराज देव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते । वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए । 13211 ॐ आं क्रौं ह्रीं नीलवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे भृंगराज देव अत्र आगच्छ- आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे भृंगराज देव इदमर्घ्यं पाद्यं जल, गंध, अक्षतम्, पुष्पं, दीप, धूप, चरं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ रबड़ी चढ़ाएँ । देव पूजा ( 33 ) मृषदेव मृषदेव को यहां हम पूजते, ग्रह शांति के लिए हम अर्चते । वसुद्रव्य को लेकर आ गए, दुख दूर करो मन भा गए 1133 || ॐ आं क्रौं ह्रीं मेषवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे मृषदेव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे मृषदेव इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतम्, पुष्पं, दीप, धूप, चरुं, बलि, -

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