Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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( 5 ) नैऋत्य देव पूजा
नैऋत्य देव की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ । नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ ।। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्घ्य बनाकर लाया हूँ।
सुख समृद्धि सब शांति पाने, अर्चन करने आया हूँ ||5|| ॐ आं क्रौं ह्रीं नीलवर्ण सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे नैऋत्य देव अत्र आगच्छ - आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा ।
हे नैऋत्य देव! इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीपं, धूपं, चरु, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा ।
शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्)
अर्घ्य के साथ तिल का तेल, तिल की पापड़ी चढ़ाऐं। ( 6 ) वरुणदेव पूजा
वास्तु चिन्तामणि
वरुण कुमार देव की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ। नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ ।। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्घ्य बनाकर लाया हूँ। सुख समृद्धि सब शांति पाने, अर्चन करने आया हूँ | 1611
ॐ आं क्रीं ह्रीं सुवर्ण वर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे वरुणदेव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा ।
हे वरुणदेव ! इदमर्घ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूप, चरु, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा ।
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शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् )
अर्घ्य के साथ धाणी, दूध पाक (रबड़ी), खीर चढ़ाएँ । (7) पवन देव पूजा
पवन कुमार देव की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ। नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ ।। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्घ्य बनाकर लाया हूँ। सुख समृद्धि सब शांति पाने, अर्चन करने आया हूँ ।।7।।